“हुजूर, केाई बात नहीं, अब आगे ऐसा मत करना !”

अभी-अभी टीवी चैनल पर निराशाप्रद समाचार सुनने को मिला कि पाकिस्तानी सेना ने भारत के साथ स्वीकृत नियंत्रण रेखा (लाइन अव् कंट्रोल) को पार कर हमारे दो सैनिकों को शहीद कर गये । पाक सैनिकों ने जम्मू कश्मीर में ‘उड़ी’ के पास कोई 500-600 मीटर अंदर घुसकर इस वारदात को अंजाम दिया । समाचार के अनुसार इस घटना का एक घृणास्पद पहलू यह है कि वे एक शहीद का सिर काट ले गये । यह सब अंतरराष्ट्रीय संधियों के विरुद्ध है ।

अपने देश ने इस घटना पर ‘कड़ा’ विरोध जताया है । पिछले लंबे समय से पाकिस्तान की हरकतें कुछ ऐसी ही रही हैं । भारत के साथ पाकिस्तान सदैव शांति एवं मित्रता स्थापित करने का नाटक करता है, और अपनी सरकार सदैव उसके प्रति सदाशयता दर्शाती रहती है । पाक धोखा देता आया है और अपनी सरकार नजरअंदाज करती आई है । कुछ गंभीर घटित होता है तो कड़ा विरोध जता दिया जाता है । क्या मतलब है कड़े विरोध का यह बात आज तक स्पष्ट नहीं हो सकी है । “आइंदा हम ऐसी हरकत बर्दास्त नहीं करेंगे” कहना क्या माने रखता है कि जब हर बार वही शब्द दोहराए जायें और वास्तविकता के धरातल पर चीजें जस की तस देखने में आती हों ? मैत्री स्थापित करने की बात फिर पूर्ववत् चल निकल पड़ती है ।

कड़ा विरोध तभी सार्थक है जब उस में कोई चेतावनी निहित हो कि फिर ऐसा हुआ तो अमुक परिणाम होंगे । लेकिन भारत सरकार का कड़ा विरोध सदैव एक रस्मअदायगी साबित होती है जिसे, पाकिस्तान कोई अहमियत नहीं देता है । ऐसा लगता है कि जैसे सरकार कहना चाहती हो, “हुजूर, केाई बात नहीं, अब आगे ऐसा मत करना !”

 बात गंभीरता से सोचने की है कि अब पाकिस्तान को लिफ्ट देना पूरी तौर पर बंद हो । पाकिस्तान पहले अपनी हरकतें सदा-सदा के लिए बंद करें तब और तब बात आगे चलेगी, नहीं तो हरगिज नहीं । – योगेन्द्र जोशी